मनिषा शहारे:
नमस्कार! मैं आज भुईनिंब के पौधे के बारे में बताने जा रही हूँ। भुईनिंब एक जंगल में मिलने वाला एक छोटा सा पौधा है जो कई तरीके से गुणकारी है। हमारे बुज़ुर्ग पहले बुखार के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल करते थे। इस पौधे के अलग-अलग भाषाओं में कई अलग नाम हैं, मराठी में इसे भुईनिंब बोलते हैं और हिंदी में चिरायुग भी कहा जाता है। यह पौधा अन्य वनस्पतियों से काफ़ी अलग है। इसकी पत्ती हो या जड़ सभी का स्वाद कड़वा होता है। यह जंगल में पाई जाने वाली एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग कई बिमारियों के इलाज किया जाता है। जंगल से इस पौधे को लाकर जूस बनाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है। ये पौधा बरसात के समय में ही मिलता है तो हम जंगल से लाकर घर में इसे सुखाकर इसका चूर्ण बना लेते हैं, ये चुर्ण दो साल तक भी खराब नहीं होता है।
बनाने की विधी –
- घर मे सुखाकर चूर्ण बनाकर पैकिंग कर के रख सकते हैं।
- ओला पौधा लाकर इसका जूस बनाके भी इसका सेवन कर सकते हैं।
इसके फायदे –
- पेट की बीमारियों के लिए यह काफी फायदेमंद है।
- मधुमेह के लिए भी यह फायदेमंद है।
- ऐसिडिटी के लिए भी यह फायदेमंद है।
- टायफायड बुखार के लिए भी यह फायदेमंद है।
खाने की विधी –
- बुखार जब आता है तो ये पौधै के जूस या चूर्ण को एक कटोरी पानी के साथ चार बार लेना है।
- लीवर कमज़ोर है तो भुईनिंब और भुईआवला ये दोनो पौधों के जूस को समान मात्रा में मिलाकर सेवन करना है। इसका काढ़ा भी बनाकर पी सकते हैं।
- मधुमेह जब शरीर में ज़्यादा हो तो भुईनिंब का चूर्ण सुबह ओर श्याम दिन में दो बार एक महीने तक पानी के साथ लेने से आपको आराम मिलेगा।
- छोटे बच्चों के पेट मे कीड़े होने पर भी इसका जूस या चूर्ण दिया जा सकता है।
टिप – इसके जूस या चूर्ण का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं, छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी के लिए यह फायदेमंद है।