बिहार के गया ज़िले में स्थित सहोदय ट्रस्ट के बच्चों ने गाँव के बुजुर्ग, श्री रोहण यादव से बातचीत की और पता किया की पुराने जमाने में लोगों का जीवन कैसे चलता था और आज से क्या अंतर है। श्री रोहण यादव जी बिहार के गया ज़िले में कहुदगा पंचायत के कोहबरी गाँव में रहते हैं। इस तरह के साक्षात्कारों से बच्चों को पुरानी बातें तो पता चलती ही हैं साथ ही भाषा के कौशलों का विकास भी होता है।

दादा का नाम रोहन यादव है। दादा ने बताया कि पहले खाना में मडुआ और मक्का का घाट खाते थे और सब लोग मिलकर दूसरे की मदद करते थे। दादा ने बताया कि पुरुष और महिला मिलकर निर्णय लेते थे। और दादा बताया कि लड़का,लड़की में भेदभाव होता था। दादा ने बताया लड़का को ज्यादा प्यार करते थे और लड़की को कम प्यार करते थे। और ज्यादा बीमार होने पर करेला का डुसा को पीसकर पानी का घोल बनके पिलाते थे और पहले गाँव में एक महत्ता होता था।

नाम – संतोष कुमार, पिता – गनोवारी मंडल, माता – सरेखा देवी

1.

बाबा की उम्र 94 साल से हम सहोदय के बच्चे के साथ बात किये। दादा ने कहा कि हमारे बचपन में लड़कियों को पढ़ाई करने नहीं देते थे। पाहिले बुखार उतना नहीं लगता था,और लगता था तो करेला के डुस पीसकर पिते थे। पहले झगड़ा नहीं करते थे, मिलकर रहते थे। बाबा ने बताया यहाँ बहुत जंगली जानवर थे। और बताया कि पहले मोटा अनाज खाते थे। और बताया कि ज्यादा से दाल खाते थे।

नाम – संगीत कुमारी, उम्र – 11 वर्ष


2.
बाबा बोले की जौ, मडुआ और मक्का की रोटी खाते थे। ये बाते हमको अच्छा लगा। पहले लोग मिलकर रहते थे। बाबा आपसे मिलकर हमें अच्छा लगा। आपका परिवार से मिलकर हमें अच्छा लगा। बाबा बचपन में कहुदाग में गुजारे थे। मसूर का दाल और मक्का का घाट खाते थे। पानी आदमी और औरत भरते थे।

सिमा कुमारी, उम्र 10, पिता नानकुली, माता मुनिया देवी


3.

रोहन बाबा पहले के बारे बताये की खेत के जौ, मडुआ उगता था पहले दाना पीसकर खाता था। पहले गाडी नहीं था। पहले बैलगाड़ी था। पहिले पैदल जाता था। पहले स्कूल बाराचट्टी में था। एक आदमी पड़ा लिखा था। पहले जमाने में लड़का लड़की में भेदभाव होता था। हुलास बाबा से बातचीत दिनाँक 13/10/021 स्थान कोहबरी बाराचट्टी गया, बिहार हुलास बाबा पहले के बारे में बताया कि पहले सूती का कपडा होता था। पहले मिटटी के बर्तन थे। पहले खाना मिटटी के बर्तन में बनाके खाते थे।
नाम – सुमंती, उम्र – 9 साल, पिता – रामखेलावन मांझी, माता – अनीता देवी, गाँव – कोहबरी


4.

बाबा ने बातचित की पहले खेती करते थे,तब कीड़ा नहीं लगता था। खेती में मडुआ,बाजड़ा और मक्का उपजाते थे। पहले गाडी का साधन नहीं था। पेदल ही जाते थे,दूर-दूर भी जाते थे। घर में कोई काम करना होता तो घर में मिलकर,सबसे रे लेकर निर्णय लेते थे। अपने गाँव में भी नया काम करना हो तो गाँव में एक महतो रहता था वही निर्णय लेता था। महतो को बुद्धिमान समझा जाता था। बीटा होता था तो ढोल बजाकर ख़ुशी मनाते थे। बेटी होती थी तब उतनी ख़ुशी नहीं मनाते थे। बेटी को पढ़ाई नहीं करवाते थे।

नाम – सुनील कुमार, उम्र – 11 वर्ष, माता – सुमित्रा देवी, पिता- रामबली मंडल


5.

मेरा गाँव से दो किलोमीटर दूर एक गाँव है। उस गाँव में रोहन नाम के एक बाबा रहते हैं। रोहन बाबा की उम्र 94 साल के है। एक दिन मिलने के लिए रोहन बाबा के घर गए। रोहन बाबा से पूछे की पहले आप लोग रात-दिन के क्या-क्या खाते थे? बाबा ने बताया हमलोग रात-दिन में मडुआ से लिपटा जो की रोटी और मक्का का घाट खाते थे। बाबा ने बताया कि हमलोग पानी पीने के लिए नदी और कुओ से लाते थे। हम लोगो ने पूछा पहले के जमाने में क्या-क्या होता था? बाबा ने बताया पहले के जमाने में एक दूसरे से मिलकर मदद करते थे। घर में सब लोग मिलकर निर्णय लेते थे और घर में बेटा होता तो बहुत ख़ुशी मनाते थे। बेटी होती तो ख़ुशी नहीं मनाते थे। यह बात सुनकर हमें बहुत बुरा लगा।

नाम – अनिल कुमार, उम्र – 12 वर्ष, माता- सुमित्रा देवी, पिता – रामबली मंडल


6.

हुल्लास दादा से बातचीत का अनुभव
स्थान- कोहबरी बाराचिट्टी गया,बिहार

पहले अनाज कोठी,मटकी और घड़ा में रखता था। इस बात को लेकर हमें अच्छा लगा। पहले बेल हल से खेत जोतता था और लांठा से पानी भरता था। हुलास दादा ने बताया कि हमारी शादी में 250 रूपये और धूनिकुर्ता मिला था। हुलास दादा ने बताया कि हमारे गाँव में हैजा की बीमारी हो गई थी। इस बीमारी में कुछ लोग मर गए थे। एक को दफनाकर आता तो दूसरा मर जाता था। इस साल को लेकर हमें बहुत बुरा लगा। हुलास दादा ने बताया कि हम लोग मिलकर खेती करते थे जैसे- हल जोतना और अटीयाना,नेवारी पीटना सब मिलकर एक दूसरे के मदद करते थे। इस बात को लेकर हमें बहुत अच्छा लगा।

नाम – अदिंला, उम्र – 11 साल


7.

हम सब बच्चे रोहन यादव से बातचीत करने गए थे। उनकी उम्र लगभग 94 वर्ष है। पहले लड़का,लड़की में बहुत भेदभाव होता था। गाँव वाले सब साथ मिलकर रहते थे। पहले सायकिल आया था तब देखने जाते थे। पहले खेत में ज्वार, बाजरा, मडुआ उगाते थे। पहले गाडी का कोई साधन नहीं था। पहले बटवारा के लिए कोई नहीं बोलता था। लड़की बेचने पेदल जाते थे। लोगो में झगड़ा नहीं होता था। पहले कोई बिमारी नहीं थे सिर्फ बुखार आता था। बेटा होता तो ख़ुशी मनाते थे। बेटी होती तो ख़ुशी नहीं मनाते थे।

नाम – प्रदीप कुमार


8.

मैं – आपका जन्म कब हुआ?
बाबा- मेरा जन्म आजादी के पहले हुआ।
मैं – पहले कोनसी गाड़िया चलती (रहती) थी?
बाबा- पहले बैलगाड़ी और घोड़ागाडी रहता था।
मैं – पहले शादी कहा- कहा होती थी और कैसे – कैसे होती थी?
बाबा – पहले शादी लड़का के घर होती थी लड़की के घर से दस- बीस लोग ही जाते थे।
मैं – आपके समय में खाना कोनसा खाते थे?
बाबा – पहले हमारे समय में मडुआ,जो और मक्का होता था।
मैं – पहले आपके समय में दवा रहता था?
बाबा – हमारे समय में दवा नहीं रहता था। करेला का लड़के डुस बनाके पिते थे और पपीते के पत्ते थे,निम् के पत्ते काड़ा बनाके पिते थे।
पहले लड़की को खेलने नहीं देते थे और घर से बाहर नहीं निकलने देते थे। खाली लड़का को मानते थे और लड़की को नहीं मानते थे।

नाम – रूपा कुमारी, माता – सरिता देवी


9.
दादा का नाम रोहन यादव है। दादा ने बताया कि पहले खाना में मडुआ और मक्का का घाट खाते थे और सब लोग मिलकर दूसरे की मदद करते थे। दादा ने बताया कि पुरुष और महिला मिलकर निर्णय लेते थे। और दादा बताया कि लड़का,लड़की में भेदभाव होता था। दादा ने बताया लड़का को ज्यादा प्यार करते थे और लड़की को कम प्यार करते थे। और ज्यादा बीमार होने पर करेला का डुसा को पीसकर पानी का घोल बनके पिलाते थे और पहले गाँव में एक महत्ता होता था।

नाम – संतोष कुमार, पिता – गनोवारी मंडल, माता – सरेखा देवी


10.

बाबा की उम्र 94 साल से हम सहोदय के बच्चे के साथ बात किये। दादा ने कहा कि हमारे बचपन में लड़कियों की पढ़ाई करने नहीं देते थे। पाहिले बुखार उतना नहीं लगता था,और लगता था तो करेला के डुस पीसकर पिते थे। पहले झगड़ा नहीं करते थे,मिलकर रहते थे। बाबा ने बताया यहाँ बहुत जंगली जानवर थे। और बताया कि पहले मोटा अनाज खाते थे। और बताया कि ज्यादा से दाल खाते थे।

नाम – संगीत कुमारी, उम्र – 11 वर्ष


11.

रोहन बाबा के घर गए अंकल आँटी हम लोग गए और पहले जमाना में क्या होता था बताया। बताया कि बेटा होता है तब बहुत ख़ुशी होती थी और बेटी होती थी तब नाराज हो जाते थे। यह बात सुनकर अच्छा नहीं लगा। पहले समय में क्या-क्या कहते थे? बाबा ने बताया कि मडुआ की रोटी,मक्का का दलीया बनता था यह बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा।

नाम – सुमंती, उम्र – 9 साल, पिता – रामखेलावन मांझी, माता – अनीता देवी

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