इस गीत के रचयिता बिहार के गया ज़िले में स्थित सहोदय शिक्षण केंद्र में पढ़ने वाले, 12 वर्षीय, संतोष कुमार हैं। इनके पिता श्री गनौरी मंडल हैं और माता सरेखा देवी हैं। इस गीत के माध्यम से बच्चों और बड़ों को प्रकृति से मेल रख कर खेती करने की शिक्षा मिलती है। सहोदय में भी इस तरह से खेती की जाती है। ध्यान से पढ़ने पर अर्थ समझ आ रहा है इसलिए अनुवाद नहीं किया गया है।

संतोष कुमार:

गढ़वा खनइबइ गे बहिनी
पेड़वा लगइबई गे बहिनी—2
पेड्‌वा लगाई लगाई
पानी से पटईबई गे बहिनी
रासायनिक खाद न डालबई
पेड़वा बचइबई गे बहिनी
गनौरा डालबई गे बहिनी–२

बोरिंग न करबई गे बहिनी
तालाब कुआं खनबई गे वहिनी -2
बोरिंग खें पानी परबाद होव हकअ हई गे बहिनी – 2

ट्रैक्टर से खेत न जोतइबई
केंचुआ बचइबई गे बहिनी – 2
केंचुआ बचइबई
कंपोस्ट बनरबई गे बहिनी –2

प्लास्टीक से धरती बचईबई गे बहिनी-2
प्लास्टीक खें धरती बरबाद
होव हकअ हुई गे बहिनी
सहोदय में रहबई गे बहिनी
पर्यावरण के बचइबई गे बहिनी

Author

One response to “पर्यावरण गीत”

  1. mangeshtiwari Avatar
    mangeshtiwari

    Very nice song

Leave a Reply

Designed with WordPress

Discover more from युवानिया ~ YUVANIYA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading