छोटू लाल नागवंशी:
वो करता रहा भौं-भौं, तेरे सोने पर
जहां लगा था बिस्तर, दूसरे कोने पर
हां, उसका प्रकृति है ही, भौंकने का
चर की आहट भर, उसके चौंकने का
वो तो बचाती है, अंजान शत्रुओं से,
दो लठ लगाते हैं, क्यों उसके रोने पर?
दो निवाले, भर देगें ! संतति की उदर
इसीलिए तो फिरता है; दर और बदर
दो रोटी बच जाए, फेंके जो उसे कहीं
आँख बिठाये बैठा रहे, उसी कोने पर
वफ़ादारी की नेमत’ उसने ऐसे पाई है
पर ‘कुत्ता है’ मिसाल; रंज क्यों लाई है?
यही न, कि फिरता रहता तेरे पीछे-२,
वो जागता रहे सदैव, हां तेरे सोने पर
पशुओं में :- इंसानियत अभी ज़िंदा है,
इंसानों के आगे, पशुता भी शर्मिंदा है,
बत से बत्तर तुम; कर जाते हो ज़िंदगी,
झूठी तारीफ, बेमतलब, उसे खोने पर।
फोटो आभार: फ्लिकर