दुर्गा दिवान:

कार्तिक माह की अमावस के दिन छत्तीसगढ़ में दिवाली मनाई जाती है। दिपावली के दिन चारों तरफ दिया की रौशनी की जगमग होती है। इस दिन गौरा-गौरी (शिव-पार्वती) और भीमसेन की पूजा की जाती है। पूजा -अर्चना करने के बाद लड़कियां, महिलाओं के साथ मिलकर सुवा नृत्य करती हैं। 

दिवाली के दुसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इसमें घर के गाय, बैल, बछड़ा, आदि की पूजा कर, उनको खिचड़ी खिलाई जाती है। राऊत और यादव समुदाय के लोग मवेशियों को सुहाई पहनाते हैं। यादव घर की महिलाएं घर-घर जाकर, धान रखने की जगह पर अहोई माता का चित्र बनाती हैं। इसके लिए इन्हें धान का दान दिया जाता है। इसके बाद लड़कीयां और महिलाएं घर-घर जाकर सुवा नाचती हैं। सुवा को छत्तीसगढ़ का लोकगीत कहा जाता है। गाजे-बाजे के साथ लड़के राऊत नाच करते हैं।

सुवा गीत

सुरूतिक दिन दिया जला बो,

जगर बगर ओहा बरही 

ढम ढमा ढम फुटही पटाका

लईका सियान फुदरही। 

दाई ददा असन गाये गरु‌ हे ,

वहु ला खिचड़ी खवाबो ,

माथ नवाके चरण पखारके

चरणों में माथ नवाबों ।

फीचर्ड फोटो आभार: उदंती, साहापीडिया

Author

  • दुर्गा / Durga

    दुर्गा, छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले से हैं और सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़ी हैं। वर्तमान में दुर्गा, दलित आदिवासी मंच के साथ जुड़कर काम कर रही हैं और संगठन का लेखा-जोखा भी संभालती हैं।

Leave a Reply

Designed with WordPress

Discover more from युवानिया ~ YUVANIYA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading