उड़िया कविता: କୁଆଡେ ଗଲ? | किधर गए ?

अमूल्य कुमार नायक:

ରାଜନୀତି ଦଳେ  ନିର୍ବାଚନ ବେଳେ
         ନେତା, କର୍ମୀ ପଲପଲ,
ସଙ୍କଟ ବେଳରେ  କେଉଁଠି ଲୁଚିଲ
         ଲୋକମାନେ କଲବଲ ।
         କାହାର କଅଣ କଲ  ?
ମନ୍ତ୍ରୀ, ବିଧାୟକ,  ସାଂସଦ, ଅଧ୍ୟକ୍ଷ
         ଏ ବେଳେ କୁଆଡେ ଗଲ ??

ଶୀତଳ କକ୍ଷରୁ   ହୁକୁମ ଛୁଟୁଛି
         ସତେ ବା ବନ୍ଧୁକ ଗୁଳି,
ପାରିବା ପଣିଆ   ଦେଖେଇ ହୁଅନ୍ତି
         ତଳ ମୁଣ୍ଡେ ଅଠା ବୋଳି ।
         ଉପରେ ତ କୋଳାକୋଳି,
ପିମ୍ପୁଡ଼ି ବେକରେ   ପଘା ପଡୁଅଛି
         ହାତୀ ଯାଉଛନ୍ତି ଗଳି ।।

ସଚେତନ ହୁଅ     ଦୃଷ୍ଟି ବଦଳାଅ
        ଉପରେ ଯେତେକ ଅଛ,
ଲୋକଙ୍କ ଜୀବନ  ରକ୍ଷାକର ଆଗ
        ପଦ  ଆଡମ୍ବର  ପଛ ।
        ଯାହା ସବୁ ଦେଖାଉଛ,
ତୁମେ ହିଁ ଜାଣିଛ    ତା ଭିତରେ ଅଛି
       କେତେ ସତ କେତେ ମିଛ ।
        କେତେ ସତ କେତେ ମିଛ ।।

        ——–(ଅମୂକ)——–

हिंदी अनुवाद:

किधर गए ?

राजनीतिक दल, चुनाव के समय 
नेता, कर्मी तर-बर, 
संकट के समय, कहाँ छुप गए? 
लोग हुए कलबल, 
किसका क्या करा? 
मंत्री, विधायक, सांसद, अध्यक्ष
इस समय कहाँ मरा? 

ए.सी. कमरों से हुकुम बरसाते,  
जेसे बंदूक से गोली, 
सक्षम होने का दावा करते, 
कर्मचारियों को लगाकर सूली,
ऊपर है अफसरों का मेलजोल,
चींटी के गर्दन मे पड़ रहा फंदा,
हाथी हो रहे फरार।

सचेतन हो, नज़रिया बदलो, 
ऊपर के जितने अफसरों
लोगों की जान पहले बचाओ 
फिर करो सियासत।

जो भी सब दिखा रहे हो, 
तुम ही जानो उसके अंदर की बात,
कितना सच कितना झूठ, 
कितना सच कितना झूठ। 

अनुवाद आभार: एमलॉन तिर्की 

Author

  • अमूल्य कुमार नायक / Amulya K. Nayak

    श्रुति से जुड़े ओडिशा के अंगुल और ढेंकनाल ज़िले के संगठन आदिवासी चेतना संगठन को बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले अमूल्य भाई, संगठन के साथ जुड़कर आदिवासी और अन्य वनाश्रित समुदायों के साथ हक़-अधिकारों और जल-जंगल-ज़मीन-वन संसाधनो के मुद्दों पर काम करते आए हैं। साथ ही अमूल्य भाई एक बहुत ही प्रतिभाशाली संगीतकार भी हैं। अमूल्य भाई अध्ययन, अनुवाद और प्रशिक्षण जैसी वैचारिक गतिविधियों में भी विशेष सक्रियता के साथ काम करते हैं।

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