महेश मईडा:

वर्तमान में पूरे विश्व में कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है, जिसकी वजह से कोई भी देश इस महामारी के प्रकोप से बच नहीं पाया है। भारतीय आदिवासी क्षेत्रों में खासकर छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात तथा असम, मणिपुर एवं मेघालय के आदिवासी क्षेत्रों में भी कोरोना महामारी का खासा प्रभाव देखने को मिला है। लेकिन देश के अन्य हिस्सों एवं शहरी क्षेत्रों से, तुलनात्मक रूप से आदिवासी क्षेत्रों में कोरोना के केस काफी कम पाए गए हैं। इसका कारण मुख्यतः आदिवासी क्षेत्रों में निवासरत (रहने वाली) जनजातियों द्वारा अपनाई गई प्राकृतिक जीवन शैली है। आदिवासियों की जीवन शैली, खान-पान, रहन-सहन एवं कई सांस्कृतिक रीति-रिवाज हैं, जो वर्तमान कोरोना काल में वरदान साबित हुए हैं।

सरकारों द्वारा चलाए जा रहे कोरोना महामारी रोकथाम कार्यक्रम एवं टीकाकरण कार्यक्रम को भी आदिवासी समाज द्वारा सहयोग मिल रहा है। इसकी बदौलत दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में भी जनजातीय लोगों का सरकार के कोरोना महामारी रोकथाम अभियान में सहयोगात्मक रवैया रहा है। बावजूद इसके, कुछ क्षेत्रों में लोगों द्वारा फैलाई गई झूठी अफवाहों के कारण वैक्सीनेशन नहीं करवाना भी एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। इसका कारण अशिक्षा, जानकारी का अभाव एवं जन जागरूकता हेतु सोशल मीडिया व सूचना प्रसार के माध्यम की कमी है। जब हमने बाँसवाड़ा ज़िले के रिचडापड़ा एवं खोरापाड़ा गाँवों के नरेगा स्थल एवं घोड़ी तेजपुर के स्थानीय सब्ज़ी विक्रेताओं तथा छोटे किराना व्यापारियों से बातचीत की तो काफ़ी लोगों से कोरोना वैक्सीन के बारे में भ्रामक खबरें – जैसे सरकार द्वारा वैक्सीन लगा कर मार दिए जाना एवं भविष्य में महिलाओं द्वारा गर्भ धारण नहीं करना आदि जैसी जानकारियां हम लोग को सुनने में आई।

स्थानीय सरकारी कर्मचारी एवं सामाजिक कार्य में लगे युवाओं की टीम द्वारा नरेगा कार्यस्थल पर जाकर लोगों को वैक्सीनेशन से होने वाले फायदे तथा कोरोना महामारी के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है। स्वास्थ्य टीम द्वारा नरेगा कार्य स्थल पर जाकर भी टीकाकरण किया जा रहा है। स्थानीय चिकित्सा टीम के हेड बी.सी.एम.ओ. डॉ गणेश मईडा से बात करने पर उन्होंने बताया कि हमारे पास कोविशिल्ड वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता है।

कोरोना की पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर में ग्रामीण क्षेत्र ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। कोरोना की पहली लहर में मेरी स्वयं की ग्राम पंचायत घोड़ी तेजपुर, पंचायत समिति एवं तहसील छोटी सरवन, ज़िला बांसवाड़ा में कोरोना वायरस का एक भी एक्टिव केस नहीं पाया गया था। लेकिन इस बार, कोरोना वायरस की दूसरी लहर में लगभग 15 से 17 कोरोना पॉजिटिव मरीज़ पाए गए थे, जो स्थानीय चिकित्सा कर्मियों एवं प्रशासन के सहयोग एवं तत्परता से वापस स्वस्थ हो गए। वहीं पड़ोसी ग्राम कुंडल एवं मकरपुरा में भी 10 से 12 केस पाए गए, उनमें से दो युवाओं की कोरोना वायरस से असमय मृत्यु हो गई। 

सरकार द्वारा विशेषकर दूर-दराज के पहाड़ी जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना चाहिए, ताकि वहां निवासरत लोगों को घर के नज़दीक ही प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सके। इस कोरोना महामारी के दौर में खास तौर पर बाँसवाड़ा ज़िले के ग्राम घोड़ी, मकनपुरा, कुंडल, रोहनिया, गागरवा जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं, जो आज भी मूलभूत चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है। साथ ही ग्राम पंचायत घोड़ी तेजपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सरकार द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील कर ज़रूरत के अनुपात में स्वास्थ्य कर्मियों को नियुक्ति दी जानी चाहिए। इससे यहाँ के आमजन को कोरोना महामारी के लिए स्थानीय स्तर पर चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता होने से संक्रमित व्यक्ति की पहचान कर, उसको समय पर उपचार मिल सकेगा। पर आज भी दूर-दराज के जनजाति क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है, जिस पर अब सरकारों द्वारा तात्कालिक रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।

जनजातीय आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं द्वारा कोरोना महामारी रोकथाम हेतु जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। इसके माध्यम से लोगों को टीकाकरण हेतु जानकारी देते हुए, उनका प्रोत्साहन बढ़ाना चाहिए, जिससे लोगों में फैली भ्रांतियां दूर हो सके एवं सभी समग्र रूप से कोरोना महामारी से लड़ सके।

Author

  • महेश मईडा / Mahesh Maida

    महेश मईडा, राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले से हैं। महेश नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कलावती सरन केंद्रीय बाल चिकित्सालय, नई दिल्ली में कार्यरत हैं।

One response to “कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं बाँसवाड़ा के आदिवासी इलाके”

  1. Mahesh Maida Avatar
    Mahesh Maida

    Thanks for including my article. 🙏🙏

Leave a Reply

Designed with WordPress

Discover more from युवानिया ~ YUVANIYA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading