ମୋବାଇଲ୍ ଫୋନ୍ ରୁ ଉତ୍ପନ୍ନ କିଛି ପ୍ରଶ୍ନ (मोबाइल फोन से निकले कुछ सवाल)

अन्नपूर्णा महालिंग

ମୋବାଇଲ୍ ଫୋନ୍ ରୁ ଉତ୍ପନ୍ନ କିଛି ପ୍ରଶ୍ନ

ଆରେ ଭାଇ କହେ ପରଦେଶୀ ମୁରୁକି ହସି 
ଆଖି ଠାର ଦେଖି ଦୁନିଆ ଗଲାଣି ଭାସି 
କଥାଟିଏ ପାଇଁ ତୁମକୁ ପଇସା ଲାଗୁଛି ବେସୀ 
ସତେଜ ମଣିଷ ଆଳସ୍ୟ ହୋଇ ଗଲାଣି ବସି 
ବହୁ ଭାଷାଭାଷି ବିଶ୍ଵ ବ୍ରହ୍ମାଣ୍ଡ
ଦେଶ ବିଦେଶ କୁ କଲା ଖଣ୍ଡ ବିଖଣ୍ଡ 
ପୃଥିବୀର ଦେଖ ନୃତ୍ୟ ତାଣ୍ଡବ 

ବହୁ କ୍ଷତିକାରୀ କୋରୋନା ଜୀବାଣୁ 
ସଚେତନକାରୀ ସମାଜ ସେବି ସଭିଏ ଜାଣୁ 
କୋରୋନା ଭୁଟାଉନ ପରି ଅନେକ ରୋଗ 
ଆଗକୁ ରହିଛି ଅନେକ ଭାଗ 
ଆମ ଦେଶର ମୋଦୀ ସରକାର 
କୋଭିଡ ୧୯ ର କାଲେ ପ୍ରଚାର 
ବଡ ଘର ବଡ ଗୁମର କଥା 
ନ୍ଯୁଜ ମେଡିଆ ରଚିଲେ ଗୀତା 
ପାଠ ଶାଠ ସବୁ ହେଲାଣି ବୃଥା 
୨୦୨୦ ର ମୋଦୀ ସରକାର ବସି ଲେଖନ୍ତି ପୃଷ୍ଠା 
ଖାଇବାକୁ ଦେଲେ କେତେ ଯତନେ
ମାନେ ନହିଁ ଟିକେ ଜନତା ମାନେ 
ଜନତା ମନରେ ଅନ୍ଧବିଶ୍ଵାସ
ହେବାକୁ ଯାଉଛି ପୃଥିବୀ ଧ୍ଵଂସ ।  

ଆଦିବାସୀ ଦଳିତ ମଜଦୁର ଏକତା… ଜିନ୍ଦବାଦ !

ओडिशा की साथी अन्नपूर्णा महालिंग इस उड़िया कविता में मोबाइल फोन को लेकर उनके मन में उठे अपने कुछ विचार साझा की हैं। इस कविता का हिन्दी अनुवाद कुछ इस तरह से है-

मोबाइल फोन से निकले कुछ सवाल
अरे भाई कहता है परदेसी मुस्कुरा के 
आंख से दुनिया काफी दूर चली गई है 
एक बात के लिए तुमको बहुत पैसा लगता है
ताजा मनुष्य आलसी हो गया है
विभिन्न भाषा भाषी के है यह विश्व ब्रह्मांड 
देश-विदेश को किया खंड-विखंड 
पृथ्वी का देखो यह तांडव नृत्य

कितना खतरनाक है कोरोना का जीवाणु 
सचेत समाजसेवी सब जानते हैं 
कोरोना वायरस की तरह अनेक रोग हैं 
उनका भी आगे है पृथ्वी में भाग 

हमारे देश की मोदी सरकार 
कोविड-19 का किया प्रचार
बड़े घर वालों की भी क्या है बात 
न्यूज़ मीडिया भी लिखने लगी है गीता
स्कूलों में पढ़ाई सब हो गई सत्यानाश

लेकिन 2020 में मोदी सरकार बैठ कर लिख रही अपना इतिहास
जिन्होंने इतना जतन से खाने के लिए दिया 
याद नहीं है अब वही जनता
जनता के मन में भर रहे हैं अंधविश्वास 
बढ़ रही है पृथ्वी विध्वंस की ओर

अनुवाद आभार: एमलॉन तिर्की

Author

  • अन्नपूर्णा / Annapurna

    अन्नपूर्णा, ओडिशा के बलांगीर ज़िले से हैं और सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़ी हैं। वह ज़िन्दाबाद संगठन के साथ जुड़कर स्थानीय मुद्दों पर काम कर रही हैं।

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