सन्नी सिंकू:

लगभग देश स्वतंत्र होने के पाँच माह बाद 1 जनवरी 1948 को खरसावां में गोलीकांड हुआ था। आज़ाद भारत का पहला सबसे बड़ा गोलीकांड है ये। इस घटनाक्रम के बाद देश में यहीं सबसे पहला मार्शल लॉ लगा था। इतना ही नहीं उल्लेखित घटना की जांच करने के लिए न्यायाधिकरण का भी गठन किया गया था।
आखिर मार्शल लॉ किस परिस्थिति में लागू होता है और न्यायाधिकरण का गठन क्यों किया जाता है? सर्वविदित है कि मार्शल लॉ विशेष परिस्थितियों में जब किसी देश की न्याय व्यवस्था को सेना अपना हाथ में लेती है, तब जो नियम प्रभावी होते है उसे सैनिक कानून या मार्शल लॉ कहते है। कभी-कभी युद्ध के समय या किसी क्षेत्र को जीतने के बाद उस क्षेत्र में मार्शल लॉ लगा दिया जाता है। और प्रशासनिक न्यायाधिकरण एक अभिकरण या एजेंसी है, जिसका निर्माण विधि द्वारा किया जाता है, और इसे न्यायिक शक्ति सौंपी जाती है ताकि कोर्ट की तरह लंबी सुनवाई से बचते हुए शीघ्र न्यायाधिकरण द्वारा निपटारा किया जा सके। लेकिन मार्शल लॉ लागू रहते न्यायाधिकरण कमिटी द्वारा जांच प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरांत भी खरसावां गोलीकांड में हज़ारों हज़ार शहादत देने वाले आदिवासी मूलवासियों का कोई रिपोर्ट सरकार के पास नहीं है। जिससे स्पष्ट होता है आदिवासी मूलवासियों के इतिहास के साथ गहरा षडयंत्र किया जा रहा है। साथ ही उल्लेखित घटनाक्रम को प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने भी बहुत तरजीह नहीं दिया। कहा जाता है इतिहास मनुष्य का सच्चा शिक्षक है जो समाज को भविष्य का उचित राह बतलाता है। किसी भी जाति समाज को सजीव, उन्नतिशील तथा गतिशील बने रहने के लिए अपने पूर्वजों का इतिहास का अध्ययन बहुत ज़रूरी है। खरसावां गोलीकांड पर अधिकतम शहादत देने वाले समाज के प्रबुद्ध जनों ने घटनाक्रम पर समुचित संकलन पर ध्यान नहीं दिया। जिस वजह से वर्तमान युवा पीढ़ी उल्लेखित कांड के इतिहास के प्रति दिग्भ्रमित दिखाई देते हैं। वर्तमान युग की परिस्थितियों को समझने के लिए यह ज़रूरी है कि शहादत देने वाले समाज के युवा पीढ़ी अपने इतिहास से परिचित हों तथा उसके उत्थान और पतन के कारणों तथा परिस्थितियों से अवगत हों। क्योंकि युवा पीढ़ी और भावी पीढ़ी को इतिहास ही मानव प्रकृति के विभिन्न आयामों और पक्षों से अवगत कराता है। जिसके अध्ययन से उन्हें सभ्यता का क्रमिक विकास का ज्ञान होता है और वर्तमान समाज को समझने के लिए आवश्यक है कि इस विकास के उन विभिन्न सोपानों को जान सकें जिनमें से गुज़रकर यह समाज वर्तमान स्थिति में आया है। जिस प्रकार फिल्म में किसी कहानी की घटना का संपूर्ण चित्र हमारी आँखों के सामने आ जाता है उसी प्रकार इतिहास किसी भी जाति समाज का आचार विचार, धार्मिक जीवन, आर्थिक जीवन, सांस्कृतिक जीवन, राजनैतिक व्यवस्था, शासन पद्धति आदि सभी बातों का एक सुंदर चित्र हमारी अंतर्दृष्टि के साथ सामने स्पष्ट रख देता है। इतिहास के अध्ययन के द्वारा किसी जाति समाज के उत्थान के साथ-साथ उसके पतन की परिस्थितियों का ज्ञान प्राप्त होता है। अतीत की गलतियों से सबक लेकर वर्तमान में सुधार करते हुए आने वाले पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए खरसावां गोलीकांड में अधिकतम शहादत देने वाले समाज के प्रबुद्ध जन अपने गौरवशाली इतिहास का गहन अध्ययन कर संकलित करें। ताकि अपने भावी पीढ़ी के सुरक्षित और उज्वल भविष्य की कल्पना कर सके।
“खरसावां गोलीकांड के अमर शहीदों को सादर नमन”