जूहेब आज़ाद:
मेरे कूड़ेदान में
कुछ कागज़ के पन्ने
उनमें बसे
लफ़्ज़ मेरे
तकलीख़* मेरी
कुछ दर्द
और मेरे
सपने अधूरे
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*तकलीख़ : रचना

युवाओं की दुनिया
जूहेब आज़ाद:
मेरे कूड़ेदान में
कुछ कागज़ के पन्ने
उनमें बसे
लफ़्ज़ मेरे
तकलीख़* मेरी
कुछ दर्द
और मेरे
सपने अधूरे
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*तकलीख़ : रचना
Beautifully expressed. I come back to Yuvaniya and read your words very often. Zindabad Zoheb.