विश्वजीत नास्तिक: रखा गया इन्हे कुछ इसतरह कि इन्हेपता ही न चलेवे किस नरक में जी रहे हैं। सरकारी कर्मचारी, ठेकेदारों, ज़मींदारों कीरोज़ सुनते ताना
युवाओं की दुनिया
विश्वजीत नास्तिक: रखा गया इन्हे कुछ इसतरह कि इन्हेपता ही न चलेवे किस नरक में जी रहे हैं। सरकारी कर्मचारी, ठेकेदारों, ज़मींदारों कीरोज़ सुनते ताना