झालावाड़ के झिरी गाँव का मंथन स्कूल, जहाँ किसी के साथ भेदभाव नहीं होता

हमारे गाँव के सरकारी विद्यालय में समय पर अध्यापकों का नहीं आना, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों के साथ जाति आधारित भेदभाव बहुत आम था और पढ़ाई का स्तर भी अच्छा नहीं था।

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हमारे झिरी गाँव की महिलाओं को शिक्षा से मिला है नया आत्मविश्वास

बचपन में मैं सरकारी विद्यालय में पढ़ती थी तो वहाँ हमारे साथ जाति के आधार पर भेदभाव किया जाता था, अध्यापकों द्वारा भी और बच्चों द्वारा भी I

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अररिया के मज़दूर की मौत का ज़िम्मेदार कौन?

नरेश धड़कार एक गरीब घर से थे I वो एक कारीगर थे, जो रोज़ बांस की टोकरी और गर्मी के समय इस्तेमाल किया जाने वाला हाथ पंखा बनाकर बेचते थे और इसी से अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे।

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कैसे शुरू हुआ जोशीमठ संकट

एक पहाड़ी ढलान पर बसा लगभग 25 हज़ार की आबादी वाला यह शहर निरंतर दरक रहा है, धंस रहा है। शहर के लगभग हर हिस्से में घरों, खेतों, सड़कों में दरारें हैं। 800 से अधिक लोगों को अस्थायी शिविरों में शिफ्ट किया गया है और लगभग इतने ही भवनों में दरारें देखी गयी हैं।

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महाराष्ट्र में हल्दी कुमकुम प्रथा का महत्व

इन प्रथाओं में विधवा और परित्यकता महीलाओं को शामिल नहीं किया जाता है। उनके हाथ से कुमकुम लगाना या शुभकार्य में उनका सहभागी होना अशुभ माना जाता है।

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सर्दियों में अब ना अम्मा की बुनाई दिखती है, न ऊन के गोले

अफ़ाक उल्लाह: मुझे आज भी याद है कि जैसे ही सर्दियाँ आती थी, हम लोग बड़े बक्से से अपने गर्म कपड़े, स्वेटर, टोपी, मफलर और

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