कहाँ जाते होंगे वो सब जो कट चुके पेड़ों के नीचे मिलते थे?

आफाक: विकास की बयार में घर, मकान और दुकान के साथ बहुत कुछ उजड़ रहा है। हमारा गाँव पहाड़गंज घोसियाना है, घोसियाना दो हिस्सों में

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सभी विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति दिलचस्पी पैदा करना और उनके लिए शिक्षा को अर्थपूर्ण बनाना

सिम्मी: यूँ तो जिस किसी भी शिक्षक चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी, हर कोई यह बताने और सिद्ध करने में लगा हुआ है कि

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होली के मौके पर एक अनूठी पहल: असल में ‘काले सफेद’ ही  जिंदगी में रंग भरते हैं

एन रघुरामन:  भारत के किसी भी हिस्से की तरह, 8 मार्च को इस गांव की फिजाओं में भी रंग होगा। ढोल की थाप गूंजेगी, हवा

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कैसे प्रोत्साहित करेंगे हम अपने क्षेत्र के युवाओं को?

इस उम्र में हम जो सोचते हैं और जो करते हैं, इसी से यह तय हो जाता है कि हमारी आगे की ज़िंदगी कैसी होने वाली है। हम जीवन में सफलता की ऊँचाइयों को छूएँगे या असफलता की गहरी खाइयों में गिरेंगे। हमारा भविष्य अमीरी की चमक से रौशन होगा या हम गरीबी के अंधियारों में रोते रहेंगे।

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आखिर ये झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग आते कहाँ से हैं?

गोपाल लोधियाल:  सवाल यह है कि ये झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग, आखिर कहाँ से आते हैं? क्या यह बारिश के साथ आसमान से टपकते

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संविधान हमारे लिए ज़रूरी हैं क्यूंकि संविधान से देश चलता है

महेश हेंब्रम:  संविधान हमारे लिए ज़रूरी हैं, संविधान से देश चलता है। संविधान गरीब वर्ग के लिए है। धर्म से देश नहीं चलता है। धर्म

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