सामाजिक परिवर्तन शाला का मेरा अनुभव : आरज़ू

आरज़ू: सामाजिक परिवर्तन शाला (स्कूल फॉर सोशल चेंज या एसएससी) के शिविरों के दौरान मुझे अपने अंदर बहुत से बदलाव देखने को मिले और साथ

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मेरी डायरी : मानव-मूत्र यानि पेशाब की उपयोगिता

अंकुश गुप्ता: कूड़े की समस्या को समझते हुए मुझे इस बात का एहसास हुआ कि अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग पदार्थ कूड़े में जमा होते हैं।

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सरलता भरी पहाड़ों की जीवनशैली – एक यात्रा वृत्तांत

सिम्मी व आफ़ाक़: वैसे तो पहाड़ों के साथ अपना रिश्ता कोई नया नहीं हैं। हिमाचल से उत्तराखंड और नेपाल के पहाड़ों में कुछ-कुछ दिनों के

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हम अपने आप को धोखा दे रहे हैं

संदीप कुमार: मैंने एक आवासीय विद्यालय से पढ़ाई की है, जो कि राजीव गाँधी द्वारा चलाई गई एक संस्था द्वारा संचालित है। यहाँ विद्यार्थियों को

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महुआ के पेड़ के साथ ग्रामीण समाज का संबन्ध

मो नसीम / आफाक:  अप्रैल के महीने में महुआ चुना (गिरना) शुरू हो जाता हैं। जब महुआ पेड़ पर आता है, तो सारी पत्तियाँ पेड़

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हमारे झिरी गाँव की महिलाओं को शिक्षा से मिला है नया आत्मविश्वास

बचपन में मैं सरकारी विद्यालय में पढ़ती थी तो वहाँ हमारे साथ जाति के आधार पर भेदभाव किया जाता था, अध्यापकों द्वारा भी और बच्चों द्वारा भी I

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