अभिलाषा श्रीवास्तव और असीम हसनैन: “मेरे कॉलेज की लड़कियाँ बहुत साहसी थी। वे कुछ न कुछ नया करती रहती थी। तो मैंने खुद से कहा

युवाओं की दुनिया
अभिलाषा श्रीवास्तव और असीम हसनैन: “मेरे कॉलेज की लड़कियाँ बहुत साहसी थी। वे कुछ न कुछ नया करती रहती थी। तो मैंने खुद से कहा
विश्वजीत नास्तिक: रखा गया इन्हे कुछ इसतरह कि इन्हेपता ही न चलेवे किस नरक में जी रहे हैं। सरकारी कर्मचारी, ठेकेदारों, ज़मींदारों कीरोज़ सुनते ताना
उन्होने भी अंजलि को उस नज़र से देखना बंद कर दिया और सभी उसके साथ मेरी तरह रहने लगे। अब रंग के कारण उसके साथ कोई भी भेदभाव नहीं करता।
कंवर समाज के लोगों का अलग ही नियम और कानून चलता हैl इस समाज में देश के संविधान का ज़्यादा महत्व नहीं है, क्योंकि इस समाज के अपने नियम हैंl
इन प्रथाओं में विधवा और परित्यकता महीलाओं को शामिल नहीं किया जाता है। उनके हाथ से कुमकुम लगाना या शुभकार्य में उनका सहभागी होना अशुभ माना जाता है।
मनीषा शहारे: हमारे समाज में हर समुदाय के लोग रहते हैं, हर समुदाय की अलग-अलग रूढ़ियाँ होती हैं, और पुराने लोगों से चली आती ये