विश्वजीत नास्तिक: एक ही दुनिया में कहीं सुबह है तो कहीं रात,कहीं विकसित देश है तो कहीं विकासशील राज्यकहीं सब चीजों से संपन्न शहर है

युवाओं की दुनिया
विश्वजीत नास्तिक: एक ही दुनिया में कहीं सुबह है तो कहीं रात,कहीं विकसित देश है तो कहीं विकासशील राज्यकहीं सब चीजों से संपन्न शहर है
अरबिंद भगत: हमने भी मांगा था नया साल उनसे, पर उन्होंने दी गोलियों की सौगात । हमने ने भी दुआ की थी खुशहाल नए साल
मैं आदिवासी महिला हूँ, मेरी हज़ारों प्रवृतियाँ हैं, मेरी सैकड़ों प्रकृतियाँ हैं, और मेरे हज़ारों रूप हैं, मैं कभी सिनगी दई के रूप में, समाज
আদিমা মজুমদার ও জুহেব জনি (आदिमा मजूमदार और जुहेब जॉनी): ১৯১২ খ্রিস্টাব্দের ১৬ ডিসেম্বর শ্রীহট্টের হবিগঞ্জ মহাকুমার মিরাশি গ্রামে ( বর্তমান বাংলাদেশ) গণ সংগীতের নায়ক,
विश्वजीत नास्तिक: तुम पिज़्ज़ा बर्गर खाओ तो तुम अच्छे हो,अगर हम लिट्टी-चोखा खाए तो हम बिहारी हैं! तुम कोट, पैंट और टाई पहनो तो तुम
गोपाल पटेल: साहब यहाँ तो घोषणाएँ होती हैं।अमल होना तो, बाकी है। बेरोज़गार युवा आस लगाए बैठे हैं।इस उम्मीद में…कि घोषणा वीर मामा…नौकरी निकालेगा…इस उम्मीद