आदिवासियों की सारी ज़मीन उनके हाथों से धीरे-धीरे निकलती जा रही थी। इन सब से परेशान आदिवासियों का गुस्सा उनके अंदर ही अंदर भड़क रहा था। वे अंदर ही अंदर उलगुलान की तैयारी करने लगे I

युवाओं की दुनिया
आदिवासियों की सारी ज़मीन उनके हाथों से धीरे-धीरे निकलती जा रही थी। इन सब से परेशान आदिवासियों का गुस्सा उनके अंदर ही अंदर भड़क रहा था। वे अंदर ही अंदर उलगुलान की तैयारी करने लगे I
अरबिंद भगत: हमने भी मांगा था नया साल उनसे, पर उन्होंने दी गोलियों की सौगात । हमने ने भी दुआ की थी खुशहाल नए साल
আদিমা মজুমদার ও জুহেব জনি (आदिमा मजूमदार और जुहेब जॉनी): ১৯১২ খ্রিস্টাব্দের ১৬ ডিসেম্বর শ্রীহট্টের হবিগঞ্জ মহাকুমার মিরাশি গ্রামে ( বর্তমান বাংলাদেশ) গণ সংগীতের নায়ক,
नवनीत नव: और इन्होंने खोजा क्या है? आज के समय विज्ञान मानता है कि आधुनिक मानव यानि होमो सेपियंस यानि हम लोग इस धरती पर
सिद्धार्थ: 9 अगस्त को भारत सहित दुनिया भर में विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। लेकिन आदिवासी हैं कौन? ट्राईबल, इंडिजीनियस, मूलनिवासी, अनुसूचित जनजाति और वनवासी
मुनीष कुमार: 30 मई, 1930 भारत के इतिहास का अविस्मरणीय दिन है। इस दिन उत्तराखंड के बड़कोट में स्थित तिलाड़ी के मैदान में अपने अधिकारों