मैं झूठ त्यागकर नास्तिक हूँ – कविता 

डॉ. नेरन्द्र दांभोळकर: मूर्तियाँ पूजने के बजायमैं मानव पूजता हूँकृत्रिम देवों को न मानकरमैं फूले-शाहू-अंबेडकर को पढ़ता हूँमैं छाती ठोककर कहता हूँमैं झूठ त्यागकर, नास्तिक

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विकास कार्य हों तो गाँव के निर्णय और इच्छा से 

एडवीन टोप्पो: गुमला जिला के बरवे क्षेत्र में पर्यटक स्थल के नाम पर चल रहे सुंदरीकरण योजना का विरोध और संकल्प की कहानी।      यह मेरे

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उसे ये फिक्र है कि हरदम नया तर्ज ए जफा क्या है

सुनील पासवान: ‘हमें ये शौक है, देखें सितम की इंतेहा क्या है।’ मेरे पापा श्री दीपानारायण पासवान, उफ़रेल चौक, वार्ड नं 9, अमगाछी पंचयात, सिकटी

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अररिया ज़िले की आमगाछी पंचायत में सच्चाई पर एक नज़र

मेरे पापा ऐसी परिस्थिति से एकदम भी नही घबराते हैं। उनका हँसता हुआ चेहरा हम सभी को बहुत हिम्मत दे रहा है। सच्चाई को परेशान किया जा सकता है, लेकिन सच्चाई को मिटाया नही जा सकता।

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कूड़ा निपटान और मज़दूरों का जीविका संघर्ष

धर्मेन्द्र यादव: सन् 2008 में एक एनेमीशेन फिल्म आई, वॉल-ई। इस फिल्म में दिखाया गया कि किस तरह से दुनिया अपने द्वारा बनाई गई वस्तुओं

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