क्यूँ महिला विरोधी हैं महाराष्ट्र के कंवर समाज के कानून?

मनीषा शहारे:  

गोंदिया ज़िले के अर्ज़ुनी/मोर तालुका के केसोरी क्षेत्र में कंवर समाज के गाँव हैं। कंवर समाज के लोगों का अलग ही नियम और कानून चलता है, इस समाज में देश के संविधान का ज़्यादा महत्व नहीं है। क्योंकि इस समाज के अपने नियम हैं, इसलिए ये अपने 19 से 20 गाँव के लिए एक मुखिया रखते हैं। जब शादी की बात आती है तो गाँव-समाज के मुखिया ही लड़का-लड़की देखते हैं और अपनी मर्ज़ी से कोई लड़की देख लिया तो उसे जायजाद से बेदखल कर दिया जाता है। यहाँ अंधश्रद्धा भी बहुत ज़्यादा है। महिलाओं को किसी भी तरह की आज़ादी नहीं है, उन्हें मोबाइल भी चलाने नहीं दिया जाता। अगर इस समाज में विधवा महिला अकेली घर में रहती हो, तो भी उसे समाज की मीटिंग में जाना पड़ता है, अगर नहीं गए तो दंड देना पड़ता है। 

सर्दी के टाइम पर जनवरी महीने में शेरशेरा मांगने की प्रथा है। इसमें हर गाँव, हर घर में टीपरी नृत्य किया जाता है जिसमें 10 से 12 महिलाएँ समूह में नृत्य करती हैं और 2 या 3 महिलाएँ चावल, धान, औए पैसे मांगती हैं। कोई कितने भी पैसे वाला हो, उस घर की महिलाओं को भी नृत्य करने जाना पड़ता है, अगर किसी घर की महिला नहीं जाए, तो उस घर को समाज के बाहर कर दिया जाता है या दंड दिया जाता है। महिला का नृत्य करने का मन ना भी हो तो भी उसे इस दिन जाना ही पड़ता है। यदि किसी महिला ने अपने पति को छोड़कर किसी अन्य के साथ दोस्ती की या संबध बनाए तो लड़का, लड़की के घर वालों को 20 हज़ार तक जुर्माना भरना पड़ता है। 

मुखिया ही दंड से मिले सारे पैसे लेके जाता है, अगर किसी ने उसके नियमों के खिलाफ जाने का प्रयास किया तो जीवनभर उसे समाज के बाहर रहना पड़ता है। उसे कोई भी काम करने के लिये बुलाया नहीं जाता, उसके घर के किसी भी प्रोग्रlम-कार्यक्रम में समाज के अन्य लोग नहीं जाते, और ना ही उन्हें बुलाया जाता है। देवी-देवता को पूजना, हवन आदि करना, यह भी मुखिया को पूछकर ही किया जाता है। लोग सरकारी कानून की मदद नहीं लेते और छोटे-मोटे झगड़े समाज की मीटिंग में ही सुलझा लिए जाते हैं, लेकिन इनमें महिला के हित में फैसले नहीं लिए जाते। अगर किसी अन्य समाज के साथ कोई झगड़ा हो तब कानून की मदत ली जाती है, बाकी समाज के अंदरूनी मसले इनके ही तरीके से चलते हैं, इनके ही नियम चलते हैं। 

फीचर्ड फोटो प्रतीकात्मक है।

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  • मनीषा शहारे / Manisha Shahare

    मनीषा, महाराष्ट्र के गोंदिया ज़िले से हैं और सामाजिक परिवर्तन शाला से जुड़ी हैं। वह कष्टकारी जन आन्दोलन के साथ जुड़कर स्थानीय मुद्दों पर काम कर रही हैं।

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