जयेशभाई गामित:
दक्षिण गुजरात में गन्ना कटाई के काम में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के आदिवासी मज़दूर पलायन करके काम करने आते हैं। इन मज़दूरों की न्यूनतम मज़दूरी पीस रेट पर, राज्य सरकार ने 238/- रुपये तय कर रखी है। सन 2015 से मज़दूर अधिकार मंच, न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाने एवं सामाजिक सुरक्षा तथा कार्य स्थल पर रहने के लिए प्राथमिक सुविधाओं को लेकर मज़दूरों को संगठित कर अपने अधिकारों के प्रति जागृत करने का काम करता आ रहा है। इसके तहत मज़दूरोंं ने संगठित हो कर 2018-19 के सीज़न में मांगे पूरी न होने तक काम पर नहीं जाने का निर्णय किया और 10 दिन तक हड़ताल पर रहे, जिससे मजबूर होक शुगर फैक्ट्रीयों को मज़दूरी में 30/- रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी करनी पड़ी।
इसके बाद मज़दूर अधिकार मंच द्वारा लगातार सरकार एवं शुगर फैक्ट्रीयों से न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की मांग जारी रखी। सरकार द्वारा न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाने की मांग पूरी नहीं करने पर हाईकोर्ट में स्पेशियल सिविल एप्लीकेशन की कार्रवाही की गई, जिसके दबाव में आकर राज्य सरकार ने 238/- रुपये न्यूनतम मजदूरी से बढ़ाके 476/- रुपये का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जाहिर किया है। यह गन्ना कटाई के मज़दूरों की ऐतिहासिक जीत है। परन्तु अभी सरकार एवं शुगर फैक्ट्रीयों द्वारा इस नोटिफिकेशन को लागू नहीं किया गया है। इस पर सभी मज़दूर संगठित हो रहे हैं।
आने वाले सीज़न में अगर इसे लागू नहीं किया गया तो तीनो राज्यों से किसी भी मज़दूर के मुकर्दम काम पर नहीं जाने का निर्णय किया गया है और इस आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए 26 मई 2022 को सबरीधाम सुबीर में तीनो राज्यों के मज़दूरों के महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
मज़दूरोंं ने अपने हक-अधिकार की लड़ाई जारी रखने का निर्णय किया है और आगे लड़ रहे हैं।
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