ओडिशा राज्य का गंजाम ज़िला बाल विवाह से मुक्त

जितेंद्र माझी:

हमारा देश सांस्कृतिक दृष्टि से एक समृद्ध देश है जहाँ बहुत सारी प्रथाओं का जन्म हुआ। इनमें से कुछ अच्छी हैं तो कुछ बुरी हैं, जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, तीन तलाक इत्यादि। लेकिन बदलते समय के साथ-साथ, इन कुप्रथाओं को भी बदलने को संभावनाएं जाग उठी हैं। इन कुप्रथाओं को बदलने के लिए समय-समय पर अलग-अलग कानून भी बनाए गए। इससे समाज में काफी बदलाव आया है। लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां कानून होने के बाद भी ये कुप्रथाएँ अभी भी प्रचलित हैं, इसमें से एक है बाल विवाह की कुप्रथा। भारत के कई इलाकों में बाल विवाह की प्रथा अभी भी प्रचलित है।

स्थानीय प्रशासन अपने क्षेत्रों में बाल विवाह नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में ओडिशा सरकार ने ओड़िशा के गंजाम जिले को पहला बाल-विवाह मुक्त ज़िला घोषित किया है और यह भारत में अन्य राज्यों के लिए आदर्श ज़िला बन कर उभरा है।

गंजाम जिले में वर्ष 2019 में बाल विवाह को जड़ से उखाड़ फेंकने का प्रयास शुरू किया गया था। यूनिसीफ और ऐक्शन एड इंडिया संस्था के सहयोग से, गंजाम प्रशासन ने 2019 में बाल विवाह को रोकने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया। बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने के अभियान के तहत पंचायत और वार्ड स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया था। और इस कार्यक्रम का नाम ‘निर्भयो कढ़ी’ यानी ‘निर्भय कली (Fearless Bud) दिया गया था।

‘निर्भयो कढ़ी’ कार्यक्रम को सफल अंजाम देने के लिए गंजाम ज़िला प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं की समिति बनाई और शहरी क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies) के कार्यकर्ताओं की समितियां बनाई। हर समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा जिले में अलग-अलग जगहों जैसे- विद्यालय, आंगनवाड़ी केंद्र एवं गांवों में घर-घर जा कर छात्र छात्राओं एवं माता पिताओं को बाल विवाह नहीं करने एवं इसके दुष्परिणामों के बारे मे जागरूक किया। चिंता की बात यह थी कि अधिकांश माता-पिता बाल विवाह अधिनियम, 2006  के बारे में जानते तक नहीं थे।

गंजाम ज़िला प्रशासन ने लड़कियों को स्कूल छोड़ने से रोकने और उन्हें इसके दुष्परिणामों के बारे में जानकारी देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम शुरू किये। इन कार्यक्रमो के तहत –

  • स्कूलों में  बच्चो की उपस्थिति को रोजाना देखा जाने लगा।
  • अगर 12 से 18 साल की उम्र की कोई लड़की पांच दिनों तक स्कूल से गायब रहती थी, तो संस्था के मुखिया को प्रशासन को सूचित करने का निर्देश दिया गया।
  • साथ ही, गंजाम जिले के प्रशासन ने शादी करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है। जिससे लड़के और लड़कियों की उम्र निर्धारित करना आसान हो गया।
  • छात्र छात्राओं को बाल विवाह के संबंध में जागरूक करने के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू की गई।
  • बाल विवाह की खबर देने वाले व्यक्ति को 5000 से 50,000 रुपए तक का पुरस्कार देना शुरू किया। 

इसका नतीजा यह हुआ कि आज गंजाम जिले में 3,309 गांव, 280 वार्ड एवं 503 ग्राम पंचायत बाल विवाह मुक्त है, जो कि पूरे गंजाम जिले को बाल विवाह मुक्त ज़िला बनाता है और ये अपने आप में एक बहुत बड़ी जीत है।

इस कार्यक्रम की सफलता को बताते हुए और गंजाम ज़िला को बाल विवाह मुक्त ज़िला घोषित करते हुए कलेक्टर विजय अमृता कुलेंगा ने कहा कि-

“संबंधित खंड विकास अधिकारी (बीडीओ), तहसीलदार, एनएसी कार्यकारी अधिकारी और बाल विवाह निषेध अधिकारी द्वारा उचित जांच के बाद, तथा ग्राम पंचायत, वार्ड, ग्राम स्तरीय टास्क फोर्स समितियों द्वारा अनुशंसित आंकड़ों के आधार पर गंजाम ज़िला प्रशासन ने गंजाम ज़िला को 3 जनवरी 2022 को बाल विवाह मुक्त ज़िला घोषित किया है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हमारी टीम ने कड़ी मेहनत की है। साथ ही साथ इस कार्यक्रम के कारण 2019, 2020 एवं 2021 में होने वाले 45,228 बाल विवाह को रोकने में गंजाम ज़िला प्रशासन कामयाब हुआ है।”

बाल विवाह एक ऐसी कुप्रथा है जिसका दुष्परिणाम लड़के तथा लड़की दोनों को भुगतना पड़ता है। आज के समय में बाल विवाह समस्या का निवारण बेहद जरूरी हो गया है और इसके निवारण के बिना बेटियों को इस अभिशाप से मुक्त नहीं किया जा सकता है। इसीलिए हर माता-पिता, बड़ों एवं छात्र छात्राओं को इसके बारे में  जागरूक करना हम सभी की जिम्मेदारी होनी चाहिए तभी हम एक सफल बदलाव ला सकते है।

गंजाम जिला हम सभी के लिए एक आदर्श जिला है और देश के सभी जिलों को गंजाम जिले के ‘निर्भयो कढ़ी’ कार्यक्रम को अपनाकर या इसी तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को रोकने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि, ओडिशा का गंजाम जिला, जो कभी बाल विवाह के लिए जाना जाता था, आज इस समस्या पर काबू पाने में सफल रहा है और केवल दो वर्षों में ही 1 लाख से अधिक छात्र- छात्राओं को बाल विवाह और इसके दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया है।

फोटो आभार: डाउन टु अर्थ

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  • जितेंद्र माझी / Jitendra Majhi

    जितेंद्र, ओडिशा के गजपति ज़िले से हैं। वर्तमान में वे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, ओडिशा से कानून की पढ़ाई कर रहे हैं। वो आई.डी.आई.ए (IDIA- Increasing Diversity by Increasing Diversity) स्कॉलर हैं। साथ ही साथ गजपति युवा एसोसिएशन के सदस्य भी हैं। वो किताबें पढ़ना, लिखना, घूमना, गाना और खेलना पसंद करते हैं।

One comment

  1. अगर मन में ईमानदारी से कुछ अच्छा करने का ठान लिया जाए तो वो अवश्य ही सफल हो जाता है, इसका उदाहरण गंजाम जिले के अधिकारियों, ग्रामीणों व अन्य इस कार्य में भागीदारी निभाने वाले लोग हैं।
    वाकई में इस प्रकार की पहल करने की आवश्यकता है।

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