ଲୋଚନ ବରିହା (लोचन बरिहा):
ଜଲ ଜଂଗଲ ଜମୀନ୍ ମାଁ ବୁଆ ରେ
ଆମେ ଇ ମାଟିର ଛୁଆ
ଜଂଗଲ ହେଉଛେ ଆମ୍ କେ ସାହାରେ
ଆମେ ଇ ମାଟିର ଛୁଆ।।
ରାଜୁତି କାଲରେ ସେଟେଲମେଣ୍ଟ ବେଲ ରେ
ଗାଁ କେ ଲେଖ୍ ଲୁ ଜଂଗଲ
ସେ ଦିନୁ ରହିଛୁଁ କେତେକେ ସହିଛୁଁ
ଆମର କେତେ କଲବଲ
ତୁଇତ୍ କରିଛୁ କେତେ ଅନିଆଁ ରେ
ସରକାର ଟିକେ ସୁନିଆଁ।।
ଜଂଗଲେ ରହିଛୁଁ ଜଂଗଲେ ଜିଇଁଛୁ
ରେ ଜଂଗଲେ ଜିଇଁଛୁ
କନ୍ଦା କୁଡିଖାଇ ଝର୍ନା ପାଏନ ପିଉଛୁଁ
ରେ ଝର୍ନା ପାଏନ ପିଉଛୁଁ
ତୁଇତ୍ ନେଇଦେବାର ନଲକୁଆଁ ରେ
ସରକାର ଟିକେ ସୁନିଆଁ।।
ଲିମ୍ ଚାହାଁର ବେଟି ଦିନ୍ ରାଏତ୍ ଖଟି
ଅଏଁଲା ଟୋଲ ମହୁଲ
ଇଟା କେ ଖାଏସୁଁ ଇଥିନେ ଯିହିସୁଁ
କେତେ ଆମର୍ କଲବଲ
ତୁଇତ୍ ନୈଇଦେବାର୍ ଆମ୍ କେ ଅଢିଆ ରେ
ସରକାର ଟିକେ ସୁନିଆଁ।।
ସୁନୁଥା ସରକାର ଆମେ ଆଦିବାସୀ ଗା
ଆରୁ କାଏଁ ବନବାସୀ
ଜଂଗଲ କେ ନୈଛାଡୁ ଯୁଦ୍ଧକେ ନୈଡରୁଁ ଗା
ହେଇଯିବା ପଛେ ଫାଶି
ସତେ କରୁଛୁଁ ଆମେ କରିଆରେ
ସରକାର ଟିକେ ସୁନିଆଁ।।
ଜଲ ଜଂଗଲ ଜମୀନ୍ ମାଁ ବୁଆ ରେ
ଆମେ ଇ ମାଟିର ଛୁଆ।।
ଲୋଚନ ବରିହା
ଜୀନ୍ଦାବାଦ ସଂଗଠନ ବଲାଙ୍ଗିର
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हिन्दी अनुवाद
जल, जंगल, भूमि हैं माँ-बाप हमारे
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जल जंगल ज़मीन, हैं माँ-बाप हमारे, हम इस मिट्टी के बच्चे हैं।
जंगल हमारा सहारा है, हम इस मिट्टी के बच्चे हैं।
राजा ने गांव को हमारे, घोषित कर दिया जंगल
फिर भी हम रह रहे हैं और बहुत कुछ सह रहे हैं।
तकलीफ में हैं हम लोग बहुत,
राज ने किया अन्याय बहुत।
थोड़ी सी सुन ले, हमारी बात भी ऐ सरकार।
जंगल में रह रहे हैं, जंगल में जीवन जी रहे हैं।
कंद-मूल खाकर, झरने का पानी पीकर,
हम यहां डटे हैं।
एक नलकूप भी नहीं मिला हमें
थोड़ी सी सुन ले, हमारी बात भी ऐ सरकार।
नीम, चिरोंजी को इकठ्ठा करने दिन रात करते हम मेहनत,
खाकर आवला, महुआ का बीज और माहुली,
झरने का पानी पीते हैं, जीवन तकलीफ में जीते हैं।
राशन भी न मिल पाता हमको,
थोड़ी सी सुन ले, हमारी बात भी ऐ सरकार।
सुन ले सरकार हम आदिवासी और जंगलवासी।
जंगल हम नहीं छोड़ेंगे,
युद्ध से हम नहीं डरेंगे,
खाते हैं कसम,
चाहे हो जाए हमको फांसी।
इससे पहले कि हो जाए बहुत देर
थोड़ी सी सुन ले हमारी भी।
जल, जंगल, ज़मीन हमारे माँ-बाप हैं, हम इस मिट्टी के बच्चे हैं।