हम तो गए भोपाल, मांगने को रोजगार …….मिली लाठियाँ और निराशा

कृष्णा सोलंकी:

मैं एक शिक्षित बेरोज़गार युवा हूँ। पिछले कई वर्षों से, मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव से अपने साथ कई सपने लेकर इंदौर जैसे बड़े शहर में रह रहा हूँ। मैं पीएससी (पब्लिक सर्विस कमिशन) की तैयारी कर रहा हूँ। मेरा उद्देश्य है कि सरकारी अधिकारी बनकर, समाज और देश की सेवा करूँ। लेकिन कभी-कभी वर्तमान स्थिति को देखकर हताश हो जाता हूँ, क्योंकि मेरे राज्य, मध्य प्रदेश के हालात ही कुछ ऐसे हैं। यहाँ 2017 से सरकारी जॉब नहीं निकली, जिससे मेरे जैसे युवा, कोचिंग कर-कर के थक चुके हैं। कुछ लोगों ने पहले से शिक्षक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है, किंतु अभी तक भी उनकी नियुक्ति नहीं की जा रही हैं, इसलिए वे भी हताश हैं।

इन बड़े शहरों में हम जैसे गरीब वर्ग से आने वाले युवाओं को कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हर महीने कमरे का किराया, कोचिंग का पैसा व खाने-पीने का खर्च, घर वाले बड़ी मेहनत से इन सबकी व्यवस्था कर पाते हैं। कई सारे युवा अपनी पढ़ाई के साथ किसी दुकान या कंपनी में पार्ट टाइम जॉब कर रहे हैं, ताकि उनका खर्चा निकल जाए।  

भोपाल में 18 अगस्त 2021 को मध्यप्रदेश के युवा, कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को ज्ञापन देने गये थे। ज्ञापन के माध्यम से उन युवाओं की मांग थी कि 2017 में निकली शिक्षक भर्ती में चयनित युवाओं की नियुक्ति करी जाए, नई भर्तियां निकाली जाएँ व बैकलॉग के पद भरे जाएँ। सरकार ने युवाओं की समस्या सुनने के बजाय, पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हीं युवाओं पर लाठियाँ बरसवाई, जिसमें कई युवा घायल भी हुए। कई सारे युवाओं को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। पुलिस हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रही थी जैसे हम कोई आतंकवादी हों!

मेरी मांग सरकार से यही है कि किसी भी देश के विकास में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, जिसे आप लोगों ने रोज़गार न देकर सड़क पर हताश घूमने के लिए मजबूर कर दिया है। इसलिए इस बढ़ती हुई बेरोज़गारी को रोकने के लिए सरकार जल्द से जल्द रोज़गार के अवसर निकालकर युवाओं को रोज़गार दें एवं 2017 की परीक्षा में चयनित युवाओं की नियुक्ति की जाएँ।

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  • कृष्णा / Krishna S.

    कृष्णा, मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले से हैं। आधारशिला शिक्षण केंद्र, साकड़ के भूतपूर्व छात्र कृष्णा, वर्तमान में कलाम फाउंडेशन से जुड़कर लोगों की मदद कर रहे हैं। साथ में वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहें हैं।

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