गोपाल लोधियाल: मैं गांव हूं, तुम चले गए थे मुझे छोड़कर, मुझे औने-पौने दाम में बेचकर। मैंने सदियों पाला था तुम्हें, जब तुम गए कह

युवाओं की दुनिया
गोपाल लोधियाल: मैं गांव हूं, तुम चले गए थे मुझे छोड़कर, मुझे औने-पौने दाम में बेचकर। मैंने सदियों पाला था तुम्हें, जब तुम गए कह
महेश मईडा: आए दिन मज़दूरों के साथ अन्याय, दुराचार, दुर्व्यवहार की खबरें विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इनमे सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले
डा. गणेश माँझी: आज की परीक्षा का रद्द होना, कल के लिए बड़ी समस्या है। मानते हैं कि कोरोना बहुत बड़ी महामारी है, लेकिन ये
प्रशीक वानखेड़े: मेरे शहर में भी एक मंदिर बना दो, हर मुश्किल का समाधान वही हैं। नष्ट होती फसलों का, किसानों के टूटते हौंसलों का,
जतिलाल सोलंकी: बहुत पुराना है यह वट वृक्ष,घना जंगल था इसके आसपास। प्रातः काल सूर्य उदय के समय,गूंजती थी पक्षियों की आवाज। कुछ साल पहले, बसते
यह लेख नशाबंदी पर महात्मा गांधी के विचारों पर वरिष्ठ साथी अरविंद अंजुम की टिप्पणी और इस विषय पर युवा साथियों के बीच हुई चर्चा