जंगल बचाओ, जीवन बचाओ

गोपाल पटेल; कृष्णा सोलंकी:

मैं बक्सवाहा का जंगल हूँ,
जो भी कोई जीव मेरी गोद में समाए हुए हैं,
मैं उनका लालन-पालन करती हूँ।

आज मुझे बचा लो,
मैं बहुत बड़ी मुसीबत में हूँ।
हीरे की लालच में कई मुझे मारना चाहते हैं।
मैंने इंसान को सब कुछ दिया है,
लेकिन इंसान ने मुझे क्या दिया?

मैं बक्सवाहा का जंगल बोल रही हूँ,
क्यों तुम मुझे नहीं बचाओगे?
आज यह मेरी ऐसी हालत है
आने वाले समय में,
मेरे बच्चों, मैं तुम्हारी रक्षा नहीं कर पाऊँगी।
आज अगर तुम मुझे बचा लेते हो,
तो मैं लाखों लोगों का जीवन संवार सकती हूँ।

मैं बक्सवाहा का जंगल बोल रही हूँ,
हीरे की लालच में तू,
मुझे नष्ट करने जा रहा है।
हीरा तो कुछ लोगों का ही शोभा बढ़ाएगा,
मैं तो लाखों का जीवन संवार रही हूँ।

मैं बक्सवाहा का जंगल बोल रही हूँ,
तू कितना बदल गया इंसान,
लालच इतना बढ़ गया है तेरा,
कि तू अपनी ही माँ को उजाड़ने चला।
मैं बक्सवाहा हूँ, मुझे बचा लो।

फीचर्ड फोटो आभार: प्रसाद गणपुले, पिक्साबे

Authors

  • गोपाल पटेल / Gopal Patel

    गोपाल, मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले से हैं। वर्तमान में वे कलाम फाउंडेशन से जुड़कर लोगों की मदद कर रहे हैं। साथ में गोपाल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहें हैं।

  • कृष्णा / Krishna S.

    कृष्णा, मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले से हैं। आधारशिला शिक्षण केंद्र, साकड़ के भूतपूर्व छात्र कृष्णा, वर्तमान में कलाम फाउंडेशन से जुड़कर लोगों की मदद कर रहे हैं। साथ में वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहें हैं।

4 comments

  1. प्रकृति के हर जीव जंतु के लिए जल जंगल जमीन ही जीवन है…..

  2. ज्वलंत मुद्दे पर गंभीर कविता। आप दोनों कवियों को हार्दिक बधाई💐💐

    1. My lovely friends aap gopal Patel and Krishna solanki ko tah dil she ..congratulations.. Aaise Jo aapne aap me Jo plant s, and Animals in life depends kar rah ,,,I lovel you ….bhai

  3. मै मेरे बेस्ट दोस्त को यही अपील करता हूं की आपके दुवारा लिखी गई कविता से मुझे
    बहुत बहुत ही अच्छा लगा है आप दोनों साथियों को ऐसी कविता लिखने के लिए बहुत बहुत ही धन्यवाद
    “दिल से धन्यवाद आप गोपाल पटेल और कृष्णा सोलंकी जी को”

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