अम्बेडकर: महिला सशक्तीकरण के रियल पोस्टरबॉय

नीतू: वीमेन इंपावरमेंट यानी ‘महिला सशक्तीकरण’ कई साल से फैशन में है। सरकारों के साथ बहुत सी गैर सरकारी संस्थाएं इसके लिए काम कर रही

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गुलामगिरी पुस्तक – जातीय शोषण से लड़ने का ज़रूरी वैचारिक हथियार

अमित: आज भी देश के गाँवों में ऐसा माहौल है कि एक दलित किसी उच्च जाति के लोगों के ख़िलाफ़, बिना पिटने की संभावना के

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आदिवासी खड़िया समुदाय के लोकगीत: साहित्य सृजन की एक पुरानी परम्परा

अनूप उरांव: मानव की उत्पत्ति के क्षण से ही साहित्य का विकास भी होता गया। मानव के जन्म के साथ ही साहित्य सृजन की परम्परा

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झारखंड के महुआडाँड में हुए युवा शिविर पर स्मृति कुजूर की रिपोर्ट

स्मृति नेहा कुजूर: मैं 14 वर्षीय स्मृति नेहा कुजूर इस लेख के द्वारा अपने अनुभव साझा कर रही हूँ। इस साल फिर से मुझे केंद्रीय

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प्रकृति से ही लिया है, तो उसे लौटाना पड़ेगा

अजय कन्नौजे: प्रकृति से ही लिया है, तो उसे लौटाना पड़ेगा, प्रकृति से ही जीवन है, तो उसे मनाना पड़ेगा। संघर्ष से ही जीत है,

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समुदाय के लिए चलती-फिरती लाइब्रेरी: एक अनूठी पहल

अफ़ाक उल्लाह: पुस्तकें इंसानों की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। अच्छी पुस्तकें ज्ञानवर्धन के साथ-साथ भाषा कौशल और शब्दावली विकसित करती हैं तथा तनाव को

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