मेरा कूड़ेदान

जूहेब आज़ाद: मेरे कूड़ेदान में                                                                           कुछ कागज़ के पन्ने उनमें बसे लफ़्ज़ मेरे तकलीख़* मेरी कुछ दर्द और मेरे सपने अधूरे —————————————– *तकलीख़ : रचना

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शादी विवाह पर आर्थिक स्थिति

नरेन्द्र लोहा: साथियों ज़िंदाबाद। शादी विवाह आज के समय में प्रतिस्पर्धा का बाज़ार बन चुका है और इससे बहुत सारे बेकार के खर्च और समय

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भारत में मज़दूरों की स्थिति

साथियों आज हमारे देश में मज़दूरों की स्थिति बहुत ही खराब होती जा रही है। समाज में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को स्वंय से यह

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